कैसे बसी पाटलिपुत्र नगरी
हमारी वेबसाइट पर हम कथासरित्सागर की कहानियाँ साझा कर रहे हैं. इससे पहले आप “पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप” और “पुष्पदंत बने वररुचि और सीखे वेद” कहानियाँ पढ़ चुक... Read more
पुष्पदंत बने वररुचि और सीखे वेद
आपने यह कहानी पढ़ी “पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप“. आज की कहानी में जानते हैं पुष्पदंत के साथ आगे क्या हुआ. श्राप के कारण, पुष्पदंत धरती पर वररुचि (जिन्हें कात्यायन भी कहा... Read more
चतुर कमला और उसके आलसी पति की कहानी
बहुत पुराने समय की बात है, एक पंजाबी गाँव में कमला नाम की एक स्त्री रहती थी. उसका पति, एक नाई, बहुत आलसी था. वह दिन भर चौराहे पर बैठकर गप्पें मारना पसंद करता था, लेकिन काम बहुत कम करता था. इ... Read more
पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप
महान हिमवत्, पर्वतों के राजा के रूप में प्रसिद्ध हैं और किन्नरों, गंधर्वों तथा विद्याधरों का निवास स्थान हैं. वे इतने महान हैं कि तीनों लोकों की जननी भवानी उनकी पुत्री के रूप में जन्मी थीं.... Read more
डुंगरी गरासिया-कवा और कवी: महाप्रलय की कथा
यह कहानी है बहुत पुराने जमाने की, जब जंगल घने हुआ करते थे और उनमें भालू, भेड़िये, शेर, चीते, सियार और जंगली सूअरों का बसेरा था. ये जानवर जंगली जरूर थे, पर सिर्फ जीवन-यापन के लिए शिकार करते थ... Read more
महान सिदुवा-बिदुवा और खैंट पर्वत की परियाँ
बहुत समय पहले तिब्बत में सोनपाल नाम का एक राजा राज करता था. उसकी सात बेटियाँ थीं, जिनमें सबसे बड़ी थी जोत्रामाला. उसकी सुंदरता ऐसी थी जैसे पूर्णिमा का चाँद धरती पर उतर आया हो. जोत्रामाला हर... Read more
बहुत समय पहले कत्यूरगढ़ के सुंदर किले पर एक वीर और रूपवान राजा ब्रह्मदेव राज करते थे. उनके पिता का नाम गंभीरदेव था. ब्रह्मदेव दिखने में बहुत सुंदर और बलशाली थे — उनकी मूँछें शेर जैसी, आँखें... Read more
उत्तराखंड के नैनीताल ज़िले में स्थित कैंची धाम केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है. बाबा नीम करौली महाराज की इस पावन स्थली पर हर साल लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से आते हैं.... Read more
पहाड़ की सिन्ड्रेला ‘सूनिमाया’ की कहानी
यहाँ नेपाल की एक मनमोहक लोककथा हिंदी में प्रस्तुत है, जिसमें एक मासूम लड़की सूनिमाया की कहनी बयां की गई है. यह कहानी सौतेली माँ के दुर्व्यवहार, एक पिता के प्रेम, और नेकदिल प्राणियों की मदद स... Read more
नगरूघाट मेला : यहाँ लगती है “मितज्यू” की अनूठी डोर
उत्तराखंड की मिट्टी में लोक परंपराओं की खुशबू रची-बसी है. हर पर्व, हर मेला यहाँ सिर्फ उत्सव नहीं होता, बल्कि सामाजिक एकता और मानवता का प्रतीक भी बन जाता है. ऐसी ही एक अद्भुत परंपरा का गवाह ह... Read more


























