ऐसे बनायें घर पर ही शुद्ध पिठ्या
हिन्दू परिवारों में कोई उत्सव हो अथवा पारिवारिक रस्म, पिठ्या (रोली) के बिना रस्म पूरी नहीं होती. अमूमन लोग बाजार से लाये गये पिठ्या का ही उपयोग करते हैं. बाजार से खरीदे जाने वाले पिठ्या में... Read more
दम भाई निज भाई और भाई घसड़ पसड़
‘दम मारो दम मिट जाये गम’ गाना तो बीसवीं शताब्दी में बना साहब! जब कि गम मिटाने का ये नुस्खा उतना ही पुराना है, जितने भगवान भोलेनाथ. भोलेनाथ को अर्पित की जाने वाली सामग्री में चरस भी उनक... Read more
भय बिनु होय न प्रीति का पहाड़ी कनेक्शन – चेटक लगना
बचपन से कई ऐसे संवाद धार्मिक प्रसंगों में सुनते आये हैं जिनका आशय तो हम नहीं समझ पाते लेकिन अतार्किक बनकर सहज रूप में उन्हें स्वीकार कर लेते हैं. भगवान राम जन-जन के आराध्य रहे हैं और उनके प्... Read more
प्रताप भैया की 87वीं जयन्ती पर कोई सामान्य सी घटना भी आपकी जिन्दगी की दिशा मोड़ सकती है, यदि संवदेनशीलता अन्दर तक हिला दे. ऐसी ही एक घटना ने बालक प्रताप को जातिवादी व्यवस्था का धुर विरोधी बन... Read more
पहाड़ी तकिया कलाम नहीं वाणी की चतुरता की नायाब मिसाल है ठैरा और बल का इस्तेमाल
आम पहाड़ियों में ठैरा और बल शब्द जाने-अनजाने उनका पीछा नहीं छोड़ते. सुदूर महानगरों में रहने वाले लोग भी जो पैदायशी उत्तराखण्डी हों हिन्दी बोलते वक्त भी इन शब्दों के यदा कदा प्रयोग करने पर उ... Read more
भवाली के लोग भूले नहीं हैं डॉ. आन सिंह को
पचास के दशक के अन्त में जब होश संभाली, तो घर में किसी सदस्य के गम्भीर बीमार पड़ने पर डॉ. आन सिंह जी को उपचार हेतु बुलाया जाता. घर की देहली पर उनका कदम रखते ही मरीज व परिजनों का आधा तना... Read more
यह कहना गलत न होगा कि उत्तराखण्ड की शादियों में जो रस्में होती थी, उनमें से कई आज बूढ़ी हो चली हैं या यूं कहें की बदलते परिवेश में अपनी प्रासंगिकता खो चुकी हैं. किसी भी समाज की संस्कृति, रीत... Read more
ब्रह्मकमल और मोनाल को भले राज्य पक्षी एवं राज्य पुष्प का सम्मानजनक ओहदा मिल चुका हो, लेकिन लोकजीवन व लोकसाहित्य में प्योली, बुरांश तथा न्योली, घुघुती और कफुवा ने जो धमक दी, उससे ये लोकजीवन क... Read more
पहाड़ी लाल कद्दू की ज़ायकेदार चटनी
सर्दियों का मौसम आते ही आप पहाड़ के किसी गांव की ओर चले जायें, आपको छत पर तथा दन्यारों पर लाल-लाल कददू की लम्बी लम्बी कतारें दिख जायेंगी. दरअसल छत पर ही इन पके हुए कद्दुओं का लम्बे समय तक भं... Read more
जब पहाड़ों में मां रोते हुए बच्चे से कहती थी चुप जा नहीं तो ‘हुणियां’ आ जायेगा
छुटपन में बच्चे जब किसी चीज के लिए जिद करते तो डराया जाता – चुप जा, नहीं तो ‘हुणियां’ आ जायेगा. आज की पीढ़ी भले ही हुणियों और उनके खौफ से वाकिफ न हों, लेकिन 60-70 साल पूर्व तक हु... Read more
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